16 “ओ आन्दा अगुवाँ, थाँने धिकार हे। थाँ केवो हो के, ‘यद्याँ कुई मन्दर की होगन खावे हे तो कई ने, पण यद्याँ कुई मन्दर का होना का होगन खावे, तो वींने वींको पालण करणो जरूरी हे।’
“ओ कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ मनकाँ का वाते हरग का राज को बारणो बन्द करो हो, ने तो थाँ खुद परवेस करो हो अन ने वींमें परवेस करबावाळा ने परवेस करबा देवो हो।
हो भायाँ, हाराऊँ मोटी बात तो या हे के, थाँ होगन मती खाज्यो, ने तो हरग की अन ने धरती की अन नेई कणी चीज की। पण थाँकी बाताँ हा की हा अन ने की ने वेवे, जणीऊँ थाँने परमेसर को दण्ड ने भोगणो पड़े।