10 अन कणीऊँ भी आपणाँ खुद ने मालिक मती केवाज्यो, काँके थाँको एकीस मालिक हे, ओर वो मसी हे।
ज्यो थाँका मेंऊँ मोटो वेवे, वो थाँको दास वणे।
“पण थाँ मनकाँऊँ खुद ने ‘गरुजी’ मती केवाज्यो, काँके थाँको तो एकीस गरू हे, अन थाँ हाराई जस्यान हो।
थाँ धरती पे किंनेई भी आपणाँ खुद का मेमामय बाप मती केज्यो, काँके थाँको आत्मिक बाप तो एकीस हे, ज्यो हरग में हे।
ईसू क्यो, “नगर में फलाणा आदमी का नके जान वणीऊँ केवो के, गरू केवे हे के, ‘मारो टेम नके हे, मूँ आपणाँ चेला का हाते थाँरा अटे फसे को तेवार मनाऊँ।’”
अन सेवा भी नरी तरियाँ की हे, पण आपाँ एकीस परबू की सेवा कराँ हाँ।