ईं वाते फरीसी आपणाँ चेला ने हेरोदिया का गुट का थोड़ाक मनकाँ का हाते ईसू का नके खन्दाया अन वणा क्यो, “हो गरुजी, माँ जाणा हाँ के, थूँ हाँचो हे, अन परमेसर को गेलो हाँचऊँ हिकावे हे, अन किंकीई दरप ने राके हे, काँके थूँ मनकाँ को मुण्डो देकन बाताँ ने करे हे।
“ओ गरुजी, मूसे ओ नेम लिक्यो हे, ‘जदी किंको भई मर जावे अन वींकी लुगई के छोरा-छोरी ने वे, तो वींका भई वींऊँ ब्याव करले अन पछे आपणाँ भई का बंस ने आगे बड़ावे।’
वणा ईसुऊँ पूँछ्यो, “ओ गरुजी, मूसे तो माकाँ वाते ओ लिक्यो हे के, यद्याँ किंको भई आपणी लुगई का हाते रेतो तको बनाई आस-ओलाद मर जावे। तो वींको भई वींकी लुगईऊँ ब्याव करले अन आपणाँ भई का वाते आस-ओलाद पेदा करे।