2 “हरग का राज वीं राजा के जस्यान हे जणी आपणाँ पूत का ब्याव को जीमणो किदो।
ईसू वाँने एक ओरी केणी हुणई, “हरग को राज वीं मनक का जस्यान हे जणी आपणाँ खेत में हव बीज वाया।
एक दाण पाच्छा ईसू वाँने केणी केबा लागा के,
अन थाँ वणा मनकाँ की तरिया बणो, जी आपणाँ मालिक की वाट नाळरिया वे के, वो ब्यावऊँ कदी घरे आई। जद्याँ अईन कँवाड़ वजाई, तो तरत वींका वाते खोल देवाँ।
ईसू अन वींका चेला ने भी वीं ब्याव में नुत्या ग्या हा।
काँके जस्यान परबू थाँकी चन्ता करे हे वस्यान मूँ भी थाँकी चन्ता करूँ हूँ। मूँ थाँकी बात एकीस मसी का हाते लगा मेली हे जणीऊँ मूँ थाँने पुवितर कूँवारी छोरी का जस्यान मसी ने हूँप दूँ।