1 एक दाण पाच्छा ईसू वाँने केणी केबा लागा के,
“हरग का राज वीं राजा के जस्यान हे जणी आपणाँ पूत का ब्याव को जीमणो किदो।
तद्याँ ईसू वणीऊँ क्यो, “एक दाण एक मनक एक मोटा जीमणा की त्यारी कररियो हो, वणी नरई मनकाँ ने नुता दिदा।
ईसू वाँने क्यो, “थाँने परमेसर का राज का भेद ने हमजबा की हमज दिदी गी हे, पण दूजाँ ने ईं बात ने केणी में हुणई जावे हे के, “‘वीं देकता तका भी ने देके अन हूणता तका भी ने हुणे।’”