45 मुक्य याजकाँ अन फरीसी वींकी या केणी हुणन हमजग्या के, “यो आपणाँ बारा मेंईस केरियो हे।”
पछे मनक तो एक गाराऊँ घणो अनमोल हे। ईं वाते आराम का दन भलो करणो हव हे।”
अन वो वाँकाऊँ केणी में घणी बाताँ किदी अन वणी वाँने क्यो, “एक करसाण बीज बोवा निकळयो।
ज्यो ईं भाटा पे पेड़ी, वो वखर जई अन जिंपे वो पड़ी वो वींने पीस देई।”
ईं वाते वणा वींने पकड़णो छायो, पण वीं मनकाऊँ दरपग्या, काँके मनक वींने परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो मानता हा।
जद्याँ एक मूसा का नेम हिकाबावाळा ईसुऊँ क्यो, “ओ गरुजी, जद्याँ थाँ अस्यी बाताँ केवो हो, तो थाँ माँको भी अपमान करो हो।”
वी दाण मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन मुक्य याजकाँ वींने पकड़णो छारिया, काँके वीं हमजग्या हा के, वणी माकाँ उपरेईस या केणी की हे। पण, वीं लोग-बागऊँ दरपग्या हा।