31 बतावो अणा दुयाँ मूँ कणी बाप की बात मानी?” वाँकाणी क्यो, “पेले बेटे।” ईसू वाँने क्यो, “मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, कर लेबावाळा अन वेस्या थाँकाऊँ पेल्या परमेसर का राज में जाई।
मूँ थाँकाऊँ हाँची केवूँ हूँ के, आकास अन धरती टळ सके हे, पण मूसा का नेमा में लिक्या तका हरेक अकर अन सबद तद्याँ तईं बण्या तका रेई जद्याँ वीं पूरा ने वे जावे।”
“जद्याँ थाँ परातना करो, तो कपटी मनकाँ का जस्या परातना मती करज्यो, काँके वीं मनकाँ ने दिकावा का वाते परातना घर में अन गेला का ऊपरे ऊबा वेन परातना करणो वाँने हव लागे हे। मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, वणा आपणो फल पा लिदो हे।
आपाँ जाणा हे के, नेम ज्यो कई केवे हे, वाँने केवे हे ज्यो नेमा का बंस में हे। अणीऊँ हाराई का मुण्डा बन्द किदा जा सके अन हारी दनियाँ परमेसर का दण्ड के जोगी वे।
परबू आपणाँ वादा ने पूरा करबा में देर ने लगावे, जस्यान नरई मनक होचे हे। पण परमेसर आपणाँ वाते धीरज राके हे, काँके वो किंने भी नास करणो ने छावे हे। पण वो छावे हे के, हाराई मनक आपणाँ मन ने पापऊँ अलग करन मन फेरे।