अन भाग-फाट्याँ केवो हो, ‘आज बरका आई, काँके आकास रातो अन धुळ भरियो हे।’ थाँ आकास ने देकन वींका भेद बता सको हो, पण टेम का हेन्याण का भेद ने काँ ने बता सको हो?
वणा मनकाँ परमेसर का ग्यान ने ओळकणो किमती ने हमज्या, ईं वाते परमेसर भी वाँने वाँकी फालतू मरजी का जस्यान छोड़ दिदा। अन वीं हूँगला काम करबा लागग्या, ज्याँने करणा सई ने हे।