9 जद्याँ वीं आया ज्यो घड़ीभर दन रेग्यो हो, वीं दाण दानकी पे लगाया ग्या हाँ, वाँने एक चाँदी को सिक्को मल्यो।
ज्यो पेल्या आया वाँकाणी ओ हमज्या के, माने अणाऊँ नरोई मेली, पण वाँने भी एक चाँदी सिक्को मल्यो।
वणी दानक्याँ ने एक चाँदी का सिक्का की दानकी पे आपणी बाग में काम करबा का वाते खन्दाया।
“हाँज पड़्या अंगूरा का बाग के मालिक आपणाँ मुनीमऊँ क्यो, ‘दानक्याँ ने बलान पालाऊँ लेन आगे का हाराई ने दानकी दिदे।’