6 एक घड़ी दन रेता वो पाछो जान कणी दूजाँ ने बजार में ऊबा तका देक्या, तो वणी वाँकाऊँ क्यो, ‘कई थाँ अटे पूरा दन यूँई ऊबा रिया?’”
पछे वणी दपराँ में अन तीजा पेर का लगे-भगे जान जान वस्यानीस किदो।
वाँकाणी वींने क्यो, “ईं वाते ऊबा हाँ के, ‘कणी माने दानकी पे ने लगाया।’ वणी वाँने क्यो, थाँ भी बाग में जावो।”
जद्याँ वीं आया ज्यो घड़ीभर दन रेग्यो हो, वीं दाण दानकी पे लगाया ग्या हाँ, वाँने एक चाँदी को सिक्को मल्यो।
जणी मने खन्दायो हे, आपाँने वींका काम दन ईं दन में करणा घणा जरूरी हे, काँके रात वेबावाळी हे जिंमें कुई काम ने कर सकी।
हंगळा एतेंस वासी अन परगाम का लोग जो वटे रेवे हे, वे नुवी-नुवी बाताँने हुणबा अन हुणाबा को मोको होदता हा।
माँ यो ने छावाँ हाँ के, थाँ आळसी बण जावो, पण वाँके जस्यान चालो, जीं विस्वास अन धिज्या का हाते वणा चिजाँ ने पारिया हे, ज्याँको परमेसर वादो किदो हो।