ईसू आपणाँ चेला ने बलाया अन क्यो, “मने अणा लोगाँ पे बाळ आवे हे, काँके वीं तीन दनाऊँ आपणाँ हाते हे अन वाँका नके कई खाबा को कोयने हे। मूँ वाँने भूका जाबा देणो ने छावूँ हूँ, कटे अस्यान ने वेजा के, वीं गेला मेंईस थाकन रेटे पड़ जावे।”
जद्याँ ईसू लोगाँ की भीड़ ने देकता तो वाँने लोगाँ पे बाळ आ जाती, काँके वाँने लागतो हे के, ईं बणा गवाळ वाळा गारा के जस्यान हे। ईं दकी अन भटक्या तका का जस्यान हा।
थूँ वाँकी आक्याँ ने खोले अन वीं अंदाराऊँ उजिता का आड़ी, अन सेतान की सगतिऊँ परमेसर का आड़ी फरे ताँके वाँने पापाऊँ मापी मले अन परमेसर का चुण्या तका लोगाँ के हाते वीं भी बापोती में भेळा वेवे।’
ईं वाते वींने हरेक बात में मनकाँ का जस्यानीस बणायो ग्यो हो, जणीऊँ वो परमेसर की सेवा करबा का वाते दया करबावाळो अन विस्वास जोगो मायाजक बणे। ताँके मनकाँ का पापाँ का मापी वाते बली हो सके।
मारी आकरी मरजी हे के, थाँ हाराई मनक एक मन रेवो अन थाँ हाराई ने मनकाँ का हाते मेल-मिलाप, भईचारा, दया करबावाळा अन भायाँ का हाते परेम-भावऊँ रेबावाळा बणणो छावे।