“पण जद्याँ वो नोकर बारणे आयो, तो वींका हाते का नोकराऊँ मेंऊँ एक नोकर वींने मल्यो ज्यो वींको हो दिनार को करजदार हो, वाँकाणी वाँने पकड़न वींको गळो दबायो अन क्यो, ‘ज्यो कुई थाँराऊँ लेणो हे वो दिदे।’
दूजे दन वणी दो चान्दी का रिप्या निकाळ वणी धरमसाला का मालिक ने दिदा अन वणीऊँ क्यो, ‘अणी की सेवा-चाकरी करज्ये अन ईंका ऊपरे थारो ज्यो भी खरचो ओरी लागी, पाच्छी आती दाण मूँ थने दे देऊँ।’”
अन में वणा च्यारई जीवता जीव का बचमें मेंऊँ ओ हेलो हुण्यो, “आबावाळा टेम में धरती पे काळ पड़ी, वीं टेम में एक दन की दानकी में एक दन का खावा अतराक गऊँ कन एक दन की दानकी में तीन दनाँ खावा अतराक जो मली, पण जेतुन का तेल अन अंगूरा को रस को भाव ने बदली।”