13 जमींदार वाँका मूँ एक ने क्यो, ‘हे भई, मूँ थाँकाऊँ कुई बुरो ने कररियो हूँ। कई आपाँ एक चाँदी का सिक्को देबा को ते ने किदो हो?
ज्यो थारो हे, ले अन परोजा। मारी मरजी या हे के, जतरी दानकी थने दूँ अतरीईस पछे आबावाळा ने भी दूँ।
वणी दानक्याँ ने एक चाँदी का सिक्का की दानकी पे आपणी बाग में काम करबा का वाते खन्दाया।
अन राजा वींकाऊँ क्यो, ‘भई, थूँ अटे बना ब्याव का गाबा पेरिया कस्यान आग्यो?’ अन वो कई भी ने बोल्यो।
ईसू वींने क्यो, “हे दोस्त, जीं काम का वाँते थूँ आयो हे, वींने करले।” पछे भीड़ का मनकाँ नके आन ईसू ने बंदी बणा लिदा।
हे मनक, थूँ कूण वेवे हे ज्यो परमेसर ने पलटन जवाब देवे? कई कुई हात की बणी तकी चीज वींके बणाबावाळा ने पूँछ सके हे, के, “थें मने अस्यान काँ बणाई?”