ज्यो बीज झाड़क्याँ में वाया ग्या, वीं वणा मनकाँ का जस्यान हे, ज्यो परमेसर का बचन ने हुणे हे, पण ईं दनियाँ की चन्ता अन धन-माया को लोब-लाळच वाँने परमेसर को बचन भुलई दे के, परमेसर वाँकाऊँ कई छावे हे अन वो फळ ने लावे।
बतावो अणा दुयाँ मूँ कणी बाप की बात मानी?” वाँकाणी क्यो, “पेले बेटे।” ईसू वाँने क्यो, “मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, कर लेबावाळा अन वेस्या थाँकाऊँ पेल्या परमेसर का राज में जाई।
काँके मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, यद्याँ थाँकी धारमिकता मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ की भगतीऊँ मोटी ने वेई, तो थाँ हरग का राज में कदी ने जा सको।”
हो विस्वासी भायाँ, अबे थोड़ोक होचो के, जद्याँ परमेसर थाँने बलाया हा तो थाँकामूँ नरई तो ने सांसारिक देकणी में विदवान हा अन नेई तागतवर। थाँकामूँ नरई की तो समाज में कई जगाँ भी ने ही।