18 वणी वाँने क्यो, “कस्यी आग्या?” ईसू क्यो, “ओ के हत्या मती करज्ये, कुकरम मती करज्ये, चोरी मती करज्ये, जूटी गवई मती दिज्ये,
थूँ परमेसर की आग्या जाणे हे, ‘हत्या ने करणी, कुकरम ने करणा, चोरी ने करणी, जूटी गवई ने देणी, छळ मत करज्ये अन आपणाँ बई-बापू को मान राकज्ये।’”
थूँ परमेसर की आग्या तो जाणे हे के, ‘कुकरम ने करणो, हत्या ने करणी अन चोरी ने करणी, किंकी जूटी गवई ने देणी अन आपणाँ बई-बापू को मान राकणो।’ ”
पण ज्यो मनक मूसा का कामाँ का जस्यान चाली वीं हाराई मनक पाप का गुलाम रेई। काँके सास्तर में लिक्यो हे के, “ज्यो कुई मूसा का नेमा की किताब में लिकी तकी हारी बाताँ ने कोयने मानी, वींने हराप लागी।”