15 ईसू छोरा-छोरी का माता पे हात मेलन वटेऊँ परोग्यो।
पण ईसू क्यो, “छोरा-छोरी ने मारा नके आबा दो, अन अणाने तापड़ो मती, काँके हरग को राज अस्याईस को हे।”
एक मनक ईसू का नके आयो अन वाँकाऊँ क्यो, “हो गरुजी, मूँ कस्यो भलो काम करूँ के, अनंत जीवन पाऊँ?”
पछे वाँ बाळकाँ ने खोळा में लिदा अन वाँका माता पे हात मेलन वाँने आसिरवाद दिदो।
काँके अस्यो धणी ज्यो विस्वास ने राके हे, वो आपणी विस्वासी लुगई का मस परमेसर ने भावे हे अन अस्यी लुगई ज्या विस्वास ने राके हे, वाँ आपणी विस्वासी धणी का मस परमेसर ने भावे हे, ने तो थाँकी ओलाद असुद वेती, पण अबे तो वीं पुवितर हे।
अन बाळकपणाऊँ थूँ तो पुवितर सास्तर ने जाणे हे ज्यो ईसू मसी में विस्वास का आड़ीऊँ थने मुगती पाबा का वाते अकल दे सके हे।