“पण जद्याँ वो नोकर बारणे आयो, तो वींका हाते का नोकराऊँ मेंऊँ एक नोकर वींने मल्यो ज्यो वींको हो दिनार को करजदार हो, वाँकाणी वाँने पकड़न वींको गळो दबायो अन क्यो, ‘ज्यो कुई थाँराऊँ लेणो हे वो दिदे।’
ईसू गुस्सा में हा जद्याँ वणा च्यारूँमेर वाँने देक्या, पण वीं वाँकी बुरई अन हठ ने देकन घणा दकी व्या। पछे वीं मनकऊँ क्यो, “थारो हात लाम्बो कर।” वणी हात लाम्बो किदो अन वींको हात हव वेग्यो।
अस्यान जद्याँ वींको दास पाछो आन वींने हारी बाताँ बतई तो ईंपे घर का मालिक ने घणो गुस्सो आयो अन वणी आपणाँ दासऊँ क्यो, ‘फटा-फट जा अन नगर की हरेक गळ्याँ मूँ गरीबा, लंगड़ा, लकवा मारिया तका अन आंदा मनकाँ ने अटे बला ला।’
आपणाँ आत्मिक मुक्या को भरोसो करो अन वाँके बंस में रो। वीं परमेसर का हामें थाँको लेको देबावाळा का जस्यान वीं जागता तका थाँके जीव की रुकाळी करे हे। अन यद्याँ वस्यानीस करो, तो वीं यो काम राजी वेन करी, पण थाँ वस्यान ने करो, तो वीं यो काम दकऊँ करी। अन अणीऊँ थाँको कई नफो ने वेई।