काँके अणा मनकाँ को मन गाटो वेग्यो हे, अणा वाँने कान्दड़ाऊँ हूणाणो बन्द वेग्यो अन वाँकाणी आपणी आक्याँ बन्द कर लिदी हे। ताँके कटे अस्यान ने वे जावे के, वाँकी आक्याँ देकती, कान्दड़ा हूणता, अन वाँका मनऊँ हमजता जणीऊँ वीं आपणाँ मन ने पापऊँ फेरन मारा नके आता अन मूँ वाँने बंचाऊँ।’”
मूँ थाँकाऊँ हाँची केवूँ हूँ के, आकास अन धरती टळ सके हे, पण मूसा का नेमा में लिक्या तका हरेक अकर अन सबद तद्याँ तईं बण्या तका रेई जद्याँ वीं पूरा ने वे जावे।”
काँके मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, यद्याँ थाँकी धारमिकता मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ की भगतीऊँ मोटी ने वेई, तो थाँ हरग का राज में कदी ने जा सको।”
“जद्याँ थाँ परातना करो, तो कपटी मनकाँ का जस्या परातना मती करज्यो, काँके वीं मनकाँ ने दिकावा का वाते परातना घर में अन गेला का ऊपरे ऊबा वेन परातना करणो वाँने हव लागे हे। मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, वणा आपणो फल पा लिदो हे।
ईं वाते, “‘वीं देके अन देकताई रेई, पण वाँने कई हूजे कोयने। वीं हुणे अन हुणताई रेई, पण वीं कई हमजे कोयने। यद्याँ वीं अस्यान हमजता, तो परमेसर का नके आता अन वो वाँने माप करतो।’”
काँके अणा लोगाँ को मन गाटो अन वाँने हुणाबो बन्द वेग्यो हे, अन वणा आपणी आक्याँ ने बन्द कर नाकी, अस्यान ने वेतो तो वीं आक्याँऊँ देकता अन कान्दड़ाऊँ हूणता अन मनऊँ हमजन वीं मारा आड़ी फरता अन मूँ वाँने हव करतो।’”