7 ईसू वाँका नके आन वाँके हात अड़ायो अन क्यो, “ऊबा वो, दरपो मत।”
तद्याँ ईसू तरत वाँकाऊँ क्यो, “हिम्मत राको! मूँ हूँ, दरपो मती!”
चेला ओ हामळन वींका पगाँ में पड़ग्या अन दरपग्या।
तद्याँ वीं नाळ्या तो ईसू ने छोड़न ओरी किंनेई ने देक्या।
जद्याँ वीं दरपगी अन रेटे मुण्डो करन ऊबी वेगी, तो वणा मनकाँ लुगायाऊँ क्यो, “थाँ जीवता ने मरिया तका में काँ होदो हो?
पण, अबे थूँ ऊबो वेजा अन नगर में जा, वटे थने बता दिदो जाई के, थने कई करणो हे।
जद्याँ में वींने देक्यो, तो वाँका पगा में मरिया तका मनक का जस्यान पड़ग्यो। पछे वणा आपणाँ जीमणो हात मारा पे राकन माराऊँ क्यो, “दरपे मती मूँ पेलो अन आकरी हूँ।