6 चेला ओ हामळन वींका पगाँ में पड़ग्या अन दरपग्या।
वो बोलईस रियो हो के, एक चमकते तके वादळे वाँने ढाक दिदा, अन वीं वादळाऊँ आ वाणी निकळी, “ओ मारो लाड़लो पूत हे, जणीऊँ मूँ राजी हूँ। ईंकी हुणो।”
ईसू वाँका नके आन वाँके हात अड़ायो अन क्यो, “ऊबा वो, दरपो मत।”
अन मूँ रेटे पड़ग्यो अन आकासऊँ एक अवाज हूणी ज्या मने केरी ही के, ‘हे साउल, हे साउल, थूँ मने काँ हतईरो हे?’
अन माँ हंगळा रेटे जाई पड़्या, तो में इबरानी भासा में, ओ अवाज हूणी ज्या माराऊँ केरी ही, ‘हे साउल, हे साउल, थूँ मने काँ हतारियो हे? धारदार चिजाँ पे लात मारन थूँ खुद ने नकसाण पोछारियो हे।’
माँ भी वींके हाते वीं पुवितर मंगरा पे हा वीं टेम हरगऊँ ओ हमच्यार आवतो तको हुण्यो हो।