26 पतरस वाँकाऊँ क्यो “परायाऊँ।” ईसू वींने क्यो, “तो पछे पूत ने हाँसल देबाऊँ बंचग्या।
पतरस क्यो, “हाँ, देवे हे।” जद्याँ पतरस घरमें आयो, तो ईसू वाँके पूँछबा का पेल्याई वणीऊँ क्यो, “हे समोन, थूँ कई होच-बच्यार करे हे? धरती का राजा हाँसल किंकाऊँ लेवे हे? आपणाँ पूतऊँ कन परायाऊँ?”
तद्याँ भी ईं वाते के, आपाँ वाँने नाराज ने करा। ईं वाते थूँ समन्द का कनारे जाळ नाक अन ज्यो माछळी पेल्या निकळे वींने ले, वींको मुण्डो खोलबाऊँ थने एक रिप्यो मेली। वींने लेजान मारा अन खुद का आड़ीऊँ वाँने दे दिज्ये।”
वणी मालिक वणी अधरमी मुनीम ने सेबासी दिदी, काँके वणी चालाकीऊँ काम किदो हे, अणी दनियाँ का लोग-बाग परमेसर का मनकाँ का वेवारऊँ घणाई चतूर हे।”
ईसू वणीऊँ क्यो, “वींने रोको मती, काँके ज्यो आपणो दसमण ने हे, वीं आपणी आड़ी हे।”
हारी तरियाँ की बुरईऊँ बचन रेवो।