19 तद्याँ चेला एकला में ईसू का नके आन क्यो, “में हारई जणा ईं हुगली आत्माने काँ ने काड़ सक्या?”
तद्याँ ईसू हुगली आत्माने आग्या दिदी अन वाँ वणी छोरा मूँ बारणे निकळगी अन छोरो वणीस दाण हव वेग्यो।
ईसू वाँने क्यो, “थाँका कम विस्वास की वजेऊँ। मूँ थाँकाऊँ हाचेई केवूँ हूँ, यद्याँ थाँको विस्वास हरूँ का दाणा का जतरोक भी वेतो, तो ईं मंगराऊँ केता के, ‘अटूऊँ हरकन वटे जातो रे, तो वो जातो रेई।’ कुई बात थाँका वाते अबकी ने वेई।
पछे जद्याँ वीं एकला हा, तो वींका बाराई चेला की लारे दूजाँ ज्यो अड़े-भड़े लोग-बाग वाँका नके आया। वाँ हंगळा जणा वींने केणी का बारा में पूँछ्यो।
ईंका केड़े ईसू एक घरे पराग्या। जद्याँ वीं एकला हा, वीं दाण वाँका चेला वाँने पूँछ्यो, “में हारई जणा ईं हुगली आत्माने काँ ने काड़ सक्या?”