16 में थाँरा चेलाऊँ ईं हुगली आत्माने बारणे निकाळबा के वाते परातना करई। पण, वीं ईंने ने निकाळ सक्या।”
“हो परबू, मारा पूत पे दया कर! काँके वींने मर्गी को जोलो आवे हे, अन वो घणो दुक भोगरियो हे अन वो नरी दाण वादी में अन नरी दाण पाणी में पड़ जावे हे।
ईसू वींकी बात हुणन क्यो, “अरे बना विस्वास का मनक, मूँ थाँकी लारे कतरा दन तईं रेऊँ? अन कतरा दन थाँकी बाताँ ने सेण करूँ? वीं छोरा ने मारा नके लावो।”
में थाँरा चेलाऊँ ईं हुगली आत्माने बारणे निकाळबा के वाते परातना करई। पण, वीं ईंने ने निकाळ सक्या।”
काँके ईसू का नाम पे विस्वास करबा का मसऊँ यो मनक ताकड़े वेग्यो, जिंने थाँ देकरिया हो अन जाणो हो। हाँ, ईं मनक का विस्वासऊँ यो मनक थाँका हामे पुरी तरियाँ हव व्यो हे।”