7 वीं एक-दूजाऊँ केबा लागा, “आपीं रोट्याँ ने लाया ईं वाते वो अस्यान केवे हे।”
ईसू वाँने क्यो, “देको, फरीसियाँ अन सदुकियाँ का हाज्याऊँ बंचन रेज्यो।”
ओ जाणन, ईसू वाँने क्यो, “हो कम विस्वासवाळा, थाँ एक-दूजाऊँ कई बाताँ करो हो के, आपाँ नके रोटा कोयने?
बतावो यहुन्ना को बतिस्मो कटेऊँ आयो? हरग का आड़ीऊँ कन मनकाँ की आड़ीऊँ?” तद्याँ वीं एक-दूजाऊँ केबा लागा, “यद्याँ आपाँ केवा ‘हरग का आड़ीऊँ,’ तो वो आपाऊँ केई, ‘पच्छे थाँ वींपे विस्वास काँ ने किदो?’
वाँकाणी यो आदेस मान लिदो, पण वीं होच-बच्यार करिया हा के, “मरन पाछो जीवतो वे उटी” आ बात कई हे? ईंको मतलब कई हे?
वीं जद्याँ एक-दूजाऊँ बाताँ कररिया हा, तो खुद ईसू वाँका वटे परगट व्या अन वाँके हाते-हाते चालबा लागा।
एक दाण ईसू का चेला का बंच में अणी बात में होड़ा-होड़ वेबा लागी के, “आपाँ मूँ मोटो कूण हे?”
पतरस क्यो, “परबू मूँ अस्यो ने कर सकूँ हूँ, काँके में कदी भी हुगली अन असुद चिजाँ ने खादी।”