28 मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, ज्यो अटे ऊबा हे, वाँका मूँ कुई अस्या हे के, वीं जद्याँ तईं मनक का पूत ने वींका राज में आता तका ने देक लेई, जद्याँ तईं वाँने मोत ने आई।”
वीं जद्याँ थाँने एक नगर में हतावे, तो थें दूजाँ नगर में परा जाज्यो, मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, थाँ इजराएल का हाराई नगराँ में ने जावो वतरे मनक को पूत पाछो आ जई।
जद्याँ ईसू जेतुन का मंगरा पे बेट्या तका हा, तो चेला अकेला वाँका नके आन क्यो, “माने बता के, ईं बाताँ कदी वेई? थाँके आबा को अन जग का अन्त को कई हेन्याण वेई?”
ईसू वाँने क्यो, “थें खुदई के दिदो, पण मूँ थाँकाऊँ ओ भी केवूँ हूँ के, अबेऊँ थाँ मनक का पूत ने मेमावान परमेसर का जीमणा पाल्ड़े बेट्यो तको अन आकास का वादळा पे आतो तको देको।”
ईसू वींकी बात हुणन क्यो, “हिवाळ्या के, तो खोकल वेवे हे अन आकास का जनावराँ का वाते गवाळा वेवे हे पण मनक का पूत का वाते मातो ढाँकबा का वाते भी जगाँ ने हे।”
जद्याँ कुई मारा अन मारी हिकऊँ, कुकरमी अन पापी जमानाऊँ हरमाई तो मूँ ज्यो मनक को पूत(ईसू) हूँ, जद्याँ पुवितर हरग-दुताँ की लारे परमेसर की मेमा में आऊँ, तो वींका वाते हरमाऊँ।”
अन पछे ईसू वाँने क्यो, “मूँ थाँने हाँची बात केऊँ, वटे ज्यो ऊबा हे, वींमें कुई अस्या हे, ज्यो परमेसर का राज ने सगतिऊँ आता तका देक ने लेई, वतरे आपणी मोतने ने देकी।”
ईंपे यहूदी नेता वाँने क्यो, “अबे माँने पको विस्वास वेग्यो हे के, थाँरा में हुगली आत्मा धस्यी तकी हे। अबराम अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा तो मरग्या, पण थूँ केवे हे के, ‘यद्याँ कुई मारी हिक ने मानी, तो वो कदी ने मरी।’
अन पछे वाँ दुई जणा क्यो, “ओ गलील का रेबावाळा, थाँ अटे ऊबा-ऊबा आकास में काँ देकरिया हो? वीं ईसू, जीं आज अटूँ हरग में पराग्या वस्यानीस, एक दन थाँ वाँने पाच्छा हरगऊँ आता तका देको।”
पण आपाँ हाराई भी एक का केड़े एक जिवाया जावाँ। हाराऊँ पेल्या मसी ने जिवायो ग्यो अन वाँका केड़े वाँका दूजी दाण आबा की टेम पे वाँने ज्यो मसी का मनक हे वाँने जीवाई।
अन परमेसर का बेटा ईसू मसी के हरगऊँ पाच्छा आबा की वाट नाळता रेवो, जिंने वणा मरिया तका मेंऊँ पाच्छा जीवतो किदो हो, अन वींइस आपाँने परमेसर की आबावाळी रीसऊँ बंचावे हे।
पण आपाँ यो देकाँ हा के, वीं ईसू जाँने थोड़ीक टेम का वाते हरग-दुताऊँ रेटे कर नाक्या हा, अबे वींने मेमा अन आदर को मुकट पेरायो ग्यो हे, काँके वणी मोत को दुक जेल्यो हे। ताँके परमेसर की करपाऊँ हरेक मनक का वाते मोत को हवाद चाके।
ईं वाते हो भायाँ, जद्याँ तईं परबू पाच्छा ने आवे थाँ धीरज राको। जस्यान एक करसाण आपणे वाते मायनो राकबावाळी खेत की हाक पाकबा की आस करतो तको चोमासा की पेली बरकाऊँ लेन हियाळा का मावटा तईं धीरज राके।
माँ थाँने आपणाँ परबू ईसू मसी की तागत का बारा में अन वींके पाच्छा आबा का बारा में जो हमच्यार हुणायो हो, वो कुई हुस्यारीऊँ बणई तकी केणी ने हे, पण में खुदई वींकी मेमा ने मारी आक्याँऊँ देकी हे।