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- Sanasan -




मत्ती 16:27 - नुवो नेम (मेवड़ी नया नियम)

27 मनक को पूत आपणाँ हरग-दुत का हाते आपणाँ बाप की मेमा में आई, अन वीं बगत वीं हाराई ने वाँका करमा का जस्यान फळ देई।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac




मत्ती 16:27
45 Iomraidhean Croise  

मनक को पूत हरग-दुताँ ने अदिकार का हाते खन्दाई, अन वीं च्यारूँमेरऊँ वणा हाराई मनकाँ ने भेळा करी जीं दूजाँ मनकाँ ने पाप में नाके हे अन वाँने ज्यो परमेसर की आग्या ने माने हे


दनियाँ का अन्त में भी अस्योईस वेई। हरग का दूत आन पापी मनकाँ ने धरमी मनकाऊँ अलग करी।


“वीं टेम मनक का पूत का आबा को हेन्याण आकास में परगट वेई। तद्याँ धरती पे हारी जाता का मनक हाका-भार करी अन मनक का पूत ने तागत अन मेमा का हाते हरग का वादळा पे परगट वेता देको।


“जद्याँ मनक को पूत आपणी मेमा में आई अन हाराई हरग-दुत वींका हाते आई, तो वो आपणी मेमा की राजगाद्दी पे बिराजी।


ईसू वाँने क्यो, “थें खुदई के दिदो, पण मूँ थाँकाऊँ ओ भी केवूँ हूँ के, अबेऊँ थाँ मनक का पूत ने मेमावान परमेसर का जीमणा पाल्ड़े बेट्यो तको अन आकास का वादळा पे आतो तको देको।”


ईसू वींकी बात हुणन क्यो, “हिवाळ्या के, तो खोकल वेवे हे अन आकास का जनावराँ का वाते गवाळा वेवे हे पण मनक का पूत का वाते मातो ढाँकबा का वाते भी जगाँ ने हे।”


ईसू बोल्यो, “मूँ हूँ, थें मनक का पूत ने, वीं सगतीवान का जीमणा पाल्ड़े बेटो अन हरगऊँ आता तका बादळा में देको।”


जद्याँ कुई मारा अन मारी हिकऊँ, कुकरमी अन पापी जमानाऊँ हरमाई तो मूँ ज्यो मनक को पूत(ईसू) हूँ, जद्याँ पुवितर हरग-दुताँ की लारे परमेसर की मेमा में आऊँ, तो वींका वाते हरमाऊँ।”


ईंका केड़े लोग मूँ मनक का पूत ने आपणी तागत का हाते अन मोटी मेमा का हाते वादळा पे आता तका देकी।


पण, अबे मूँ मनक को पूत सबाऊँ तागतवर परमेसर का जीमणा पाल्ड़े बेटायो जाऊँ।”


ज्यो कुई माराऊँ अन मारी बाताँऊँ लाजा मरी तो जद्याँ मूँ, मनक को पूत आपणी अन बापू परमेसर की अन पुवितर हरग-दुताँ की मेमा में पाछो आऊँ तो मूँ भी वाँकाऊँ मुण्डो फेर लेऊँ।


ईसू वींने क्यो, “यद्याँ मूँ छावूँ के, वो मारे पाछो आबा तईं जीवी, तो थाँरे अणीऊँ कई हे? थूँ तो मारा पाच्छे वेजा।”


ईं वाते चेला में या बात फेलगी के, वो चेलो ने मरी। ईसू वींने ओ ने क्यो हो के, वो ने मरी। पण ओ क्यो के, “यद्याँ मूँ छावूँ के, वो मारे आबा तईं जीवी, तो थाँरे अणीऊँ कई हे?”


अन पछे वाँ दुई जणा क्यो, “ओ गलील का रेबावाळा, थाँ अटे ऊबा-ऊबा आकास में काँ देकरिया हो? वीं ईसू, जीं आज अटूँ हरग में पराग्या वस्यानीस, एक दन थाँ वाँने पाच्छा हरगऊँ आता तका देको।”


आपणाँ मेंऊँ हाराई जणा ने परमेसर का हामे खुद को लेको देणो पड़ी।


परमेसर एक-एक ने आपणाँ करमा जस्यान फल देई।


पण आपाँ हाराई भी एक का केड़े एक जिवाया जावाँ। हाराऊँ पेल्या मसी ने जिवायो ग्यो अन वाँका केड़े वाँका दूजी दाण आबा की टेम पे वाँने ज्यो मसी का मनक हे वाँने जीवाई।


तो हाराई का काम का गुण हामे आ जाई, काँके अन्त की टेम यो वादीऊँ हामे आई अन वादी हाराई का काम की परक करी के, वणी कस्यान काम किदो।


पण वो परसाद तो आपाँने परमेसर का नके ने लेजाई। यद्याँ आपीं ने खावा तो आपणो कई नकसाण ने वेई अन खावा तद्याँ भी आपाँने कई नफो ने वेई।


काँके आपाँ ईं देह में रेन ज्यो भी भलो-बुरो काम कराँ हाँ, वींको फळ पाबा का वाते आपाँने मसी की न्याव-गादी का हामे जरुर ऊबा वेणो पेड़ी।


थाँ तो जाणो हो के, पलई हाळी वे कन पलई आजाद, परबू वाँने वणाके भला काम का जस्यान फळ देई।


काँके ज्यो बुरो करे हे, वो आपणी बुरई को फळ पाई अन वटे परमेसर किंकोई पकसपात ने करी।


अन परमेसर का बेटा ईसू मसी के हरगऊँ पाच्छा आबा की वाट नाळता रेवो, जिंने वणा मरिया तका मेंऊँ पाच्छा जीवतो किदो हो, अन वींइस आपाँने परमेसर की आबावाळी रीसऊँ बंचावे हे।


काँके परबू खुद हरगऊँ उतरी अन वीं टेम परदान हरग-दुत को जोरको आदेस हुणाई अन परमेसर को वाक्यो बजायो जाई अन मसी में विस्वास करता तका जतरा मरग्या, वीं पेल्याँ जीवता वे जाई।


ईं वाते हो भायाँ, जद्याँ तईं परबू पाच्छा ने आवे थाँ धीरज राको। जस्यान एक करसाण आपणे वाते मायनो राकबावाळी खेत की हाक पाकबा की आस करतो तको चोमासा की पेली बरकाऊँ लेन हियाळा का मावटा तईं धीरज राके।


जद्याँ थाँ परमेसर ने जो हाराई मनकाँ ने वाँका काम का जस्यान अन जो पकसपात का हाते न्याव ने करे, वींने थाँ “हो बापू” केन बलावो हो, तो थाँ ईं बारवासी धरती पे रेता तका परमेसर ने आदर देता तका जीवन जीवो।


हो मारा प्यारा बाळकाँ, ईं वाते थाँ ईसू मसी में बण्या तका रेवो, जणीऊँ जद्याँ वो परगट वेई तद्याँ थाँ हिम्मतऊँ भर जावो अन वींका पाच्छा आबा पे आपाँने वींका हामें हरमा ने मरणो पड़े।


अणा मनकाँ का वाते हनोक ज्यो आदम की हातवी पीड़ी मेंऊँ हो, वो परमेसर का आड़ीऊँ बोल्यो हो के, “देको, परबू आपणाँ हजारो हजारो हरग-दुताँ का हाते आन,


देको, वो वादळा का हाते आबावाळो हे अन वींने हाराई आपणी आक्याँऊँ अन वीं मनक भी जणा वींने दुक दिदो हो देकी। अन धरती का हाराई मनक वाँके वजेऊँ रोई। अस्यान पाको हे के, यो वेई, आमीन।


मूँ वींका बाळकाँ ने मार देऊँ, तो हारी मण्डली ओ जाण जाई के, मूँ मन अन बदी जाणबावाळो हूँ। अन मूँ थाँ हाराई ने थाँका कामाँ के जस्यान बदलो देऊँ।


वींके केड़े में फोराऊँ लेन मोटा तईं का हाराई मरिया तका मनकाँ ने वीं गादी का हामे ऊबा तका देक्यो, अन थोड़ीक पोत्याँ खोली गी वणाके केड़े एक ओरी पोती खोली गी, याईस “जीवन की पोती हे।” वाँके करमा का जस्यान ज्या ईं पोती में लिक्या ग्या हा, मरिया तका को न्याव किदो ग्यो हो।


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