मनक को पूत हरग-दुताँ ने अदिकार का हाते खन्दाई, अन वीं च्यारूँमेरऊँ वणा हाराई मनकाँ ने भेळा करी जीं दूजाँ मनकाँ ने पाप में नाके हे अन वाँने ज्यो परमेसर की आग्या ने माने हे
“वीं टेम मनक का पूत का आबा को हेन्याण आकास में परगट वेई। तद्याँ धरती पे हारी जाता का मनक हाका-भार करी अन मनक का पूत ने तागत अन मेमा का हाते हरग का वादळा पे परगट वेता देको।
ईसू वाँने क्यो, “थें खुदई के दिदो, पण मूँ थाँकाऊँ ओ भी केवूँ हूँ के, अबेऊँ थाँ मनक का पूत ने मेमावान परमेसर का जीमणा पाल्ड़े बेट्यो तको अन आकास का वादळा पे आतो तको देको।”
ईसू वींकी बात हुणन क्यो, “हिवाळ्या के, तो खोकल वेवे हे अन आकास का जनावराँ का वाते गवाळा वेवे हे पण मनक का पूत का वाते मातो ढाँकबा का वाते भी जगाँ ने हे।”
जद्याँ कुई मारा अन मारी हिकऊँ, कुकरमी अन पापी जमानाऊँ हरमाई तो मूँ ज्यो मनक को पूत(ईसू) हूँ, जद्याँ पुवितर हरग-दुताँ की लारे परमेसर की मेमा में आऊँ, तो वींका वाते हरमाऊँ।”
ज्यो कुई माराऊँ अन मारी बाताँऊँ लाजा मरी तो जद्याँ मूँ, मनक को पूत आपणी अन बापू परमेसर की अन पुवितर हरग-दुताँ की मेमा में पाछो आऊँ तो मूँ भी वाँकाऊँ मुण्डो फेर लेऊँ।
ईं वाते चेला में या बात फेलगी के, वो चेलो ने मरी। ईसू वींने ओ ने क्यो हो के, वो ने मरी। पण ओ क्यो के, “यद्याँ मूँ छावूँ के, वो मारे आबा तईं जीवी, तो थाँरे अणीऊँ कई हे?”
अन पछे वाँ दुई जणा क्यो, “ओ गलील का रेबावाळा, थाँ अटे ऊबा-ऊबा आकास में काँ देकरिया हो? वीं ईसू, जीं आज अटूँ हरग में पराग्या वस्यानीस, एक दन थाँ वाँने पाच्छा हरगऊँ आता तका देको।”
पण आपाँ हाराई भी एक का केड़े एक जिवाया जावाँ। हाराऊँ पेल्या मसी ने जिवायो ग्यो अन वाँका केड़े वाँका दूजी दाण आबा की टेम पे वाँने ज्यो मसी का मनक हे वाँने जीवाई।
अन परमेसर का बेटा ईसू मसी के हरगऊँ पाच्छा आबा की वाट नाळता रेवो, जिंने वणा मरिया तका मेंऊँ पाच्छा जीवतो किदो हो, अन वींइस आपाँने परमेसर की आबावाळी रीसऊँ बंचावे हे।
काँके परबू खुद हरगऊँ उतरी अन वीं टेम परदान हरग-दुत को जोरको आदेस हुणाई अन परमेसर को वाक्यो बजायो जाई अन मसी में विस्वास करता तका जतरा मरग्या, वीं पेल्याँ जीवता वे जाई।
ईं वाते हो भायाँ, जद्याँ तईं परबू पाच्छा ने आवे थाँ धीरज राको। जस्यान एक करसाण आपणे वाते मायनो राकबावाळी खेत की हाक पाकबा की आस करतो तको चोमासा की पेली बरकाऊँ लेन हियाळा का मावटा तईं धीरज राके।
जद्याँ थाँ परमेसर ने जो हाराई मनकाँ ने वाँका काम का जस्यान अन जो पकसपात का हाते न्याव ने करे, वींने थाँ “हो बापू” केन बलावो हो, तो थाँ ईं बारवासी धरती पे रेता तका परमेसर ने आदर देता तका जीवन जीवो।
देको, वो वादळा का हाते आबावाळो हे अन वींने हाराई आपणी आक्याँऊँ अन वीं मनक भी जणा वींने दुक दिदो हो देकी। अन धरती का हाराई मनक वाँके वजेऊँ रोई। अस्यान पाको हे के, यो वेई, आमीन।
वींके केड़े में फोराऊँ लेन मोटा तईं का हाराई मरिया तका मनकाँ ने वीं गादी का हामे ऊबा तका देक्यो, अन थोड़ीक पोत्याँ खोली गी वणाके केड़े एक ओरी पोती खोली गी, याईस “जीवन की पोती हे।” वाँके करमा का जस्यान ज्या ईं पोती में लिक्या ग्या हा, मरिया तका को न्याव किदो ग्यो हो।