4 काँके परमेसर क्यो, ‘आपणाँ बई-बापू को मान राकज्ये’, अन ‘ज्यो कुई बाप कन बई ने बुरो केवे, वीं मोत का घाट ऊतारिया जावे।’
ईसू वाँने क्यो, “थाँ भी आपणाँ बड़ाबा का रिति-रिवाज मानन परमेसर का आदेसा ने टाळ देवो हो।
पण थाँ लोगाँ ने हिकावो हे के, यद्याँ थाँका बई-बापू थाँकाऊँ कई मांगे तो थाँ वाँकाऊँ केज्यो के, ‘वा तो में परमेसर के चड़ा दिदी हे।’
आपणाँ बई-बापू को आदर-मान राकज्ये अन आपणाँ पड़ोसीऊँ आपणाँ जस्यान परेम राकज्ये।”
पछे ईसू वींने क्यो, “हे सेतान, छेटी वेजा। सास्तर यो केवे हे, “‘थूँ आपणाँ परबू परमेसर ने मान अन बेस वाँकीईस सेवा-चाकरी कर।’”
तो कई, आपाँ विस्वासऊँ नेमा ने मानणा छोड़रिया हा। कदी अस्यान ने करा हा, पण आपीं तो नेमा ने ओरी पकड़या राका हा।
ओ छोरा-छोरी, थाँ परबू का गट-जोड़ में हो, ईं वाते आपणाँ बई-बापू को केणो मानो, काँके ओ हव हे।