21 ईसू ऊठेऊँ निकळन, सूर अन सेदा का परदेस का आड़ी पराग्या।
ईंस बाताँ हे, ज्यो मनक ने वटाळ देवे हे। पण हात धोया बना खाणो जीमणो मन ने असुद ने करे हे।”