19 काँके मनऊँ खराब बच्यार, हत्या, पराई लगाई का हाते हूँगला काम, कुकरम, चोरी, जूटी गवई अन परमेसर की बुरई निकळे हे।
ईंस बाताँ हे, ज्यो मनक ने वटाळ देवे हे। पण हात धोया बना खाणो जीमणो मन ने असुद ने करे हे।”
पण मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, ज्यो कुई कणी परई लुगई ने बुरी नजरऊँ देके हे, वो वींका मन में वींऊँ कुकरम कर चुक्यो हे।
ईसू वाँके मन की बात जाणन वणाऊँ क्यो, “थाँ आपणाँ मना में खोटा बच्यार काँ लावो हो?
ईं वाते आपणाँ ईं खोटऊँ मन बदलन परबूऊँ परातना कर, परबू थाँरा बुरा बच्यार माप कर देई।
हाँ, मूँ जाणूँ हूँ के, मारा पापी देह में कुई भी हव चीज वास ने करे हे। भलई करबा की मरजी तो मारा मयने हे पण भला का काम माराऊँ ने वेवे हे।