15 ओ हुणन पतरस वाँकाऊँ क्यो, “वणी असुद बात को अरत माने हमजा दो।”
“अबे थाँ बीज बोवावाळा की केणी को अरत हुणो।
तद्याँ ईसू भीड़ ने छोड़न घरे पराग्या अन वाँका चेला वाँका नके आन क्यो, “चारा की केणी को अरत माँने हमजा।”
ईसू क्यो, “कई थाँ भी आलतरे ने हमज्या हो?
बनाई केणी काम में लिदा तका वीं वाँने कई भी ने हुणाता हा, पण जद्याँ हाराई चेला का लारे वीं एकला वेता, तद्याँ हारी बाताँ को मतलब वाँने हमजाता हा।
पछे जद्याँ भीड़ ने छोड़न वो घर मयने ग्यो, तो वींका चेला वींने ईं केणी का बारा में पूँछ्यो।
वाँका चेला क्यो, “देको, अबाणू थाँ खुलन बाताँ केरिया हो अन कुई केणी ने केरिया हो।