12 तद्याँ चेला आन वाँकाऊँ क्यो, “कई थूँ जाणे हे के, फरीसियाँ ने थाँकी आ बात घणी बुरी लागी हे?”
वीं मनक धन्न हे, ज्याँने मने मानबा में कई सक ने हे।”
ज्यो मुण्डा में जावे हे, वो मनकाँ ने असुद ने करे, पण ज्यो मुण्डाऊँ निकळबावाळा बुरा सबदइस वींने वटाळ देवे हे।”
तद्याँ ईसू क्यो, “जणी रूँकड़ा ने मारा हरग का बापू परमेसर ने लगायो, वो उकाड़्यो जाई।
तद्याँ भी ईं वाते के, आपाँ वाँने नाराज ने करा। ईं वाते थूँ समन्द का कनारे जाळ नाक अन ज्यो माछळी पेल्या निकळे वींने ले, वींको मुण्डो खोलबाऊँ थने एक रिप्यो मेली। वींने लेजान मारा अन खुद का आड़ीऊँ वाँने दे दिज्ये।”
माँ कणी का वाते ठोकर ने बणा, जणीऊँ किंने भी माँकी सेवा में कई कमी ने मले।
ईं वाते माँ एक घड़ी तईं भी वाँका गुलाम ने रिया, ताँके हव हमच्यार को हाँच थाँका पे बण्यो रेवे।
पण ज्यो ग्यान हरगऊँ आवे हे वो हाराऊँ पेल्याँई तो पुवितर वेवे अन वींके केड़े सान्तीऊँ भरियो तको, सेण करबावाळो, बात मानबावाळो, दयाऊँ भरियो तको, हव फळवाळो अन बना पकसपात को अन बना कपट को वेवे हे।