तो थाँ काँ ग्या? कई कणी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा ने देकबाने? हाँ, मूँ थाँकाऊँ कूँ हूँ के, जिंने थाँ देक्यो हे वो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळाऊँ भी मोटो हे।
काँके यहुन्नो बतिस्मो देबावाळो धरम को गेलो बतातो तको थाँका नके आयो अन थाँ वींपे विस्वास ने किदो, पण कर लेबावाळा अन वेस्या वींपे विस्वास किदो अन पछे भी थाँ ओ देकन पापऊँ मन ने फेरिया अन ने वींको विस्वास किदो।”
अन यद्याँ आपाँ केवाँ के, ‘मनकाँ का आड़ीऊँ हे।’ तो हाराई लोग-बाग आपणे भाटा मारी। काँके वीं हाँची में जाणे हे के, यहुन्नो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हो।”
तो पछे मोटी सबा का लोगाँ वाँ दुई जणा ने तापड़न छोड़ दिदा। वाँने सजा देबा को कई भी मोको ने मल्यो हो, काँके जो भी व्यो, वींका वाते लोग-बाग परमेसर की मेमा गारिया हाँ।
ईं वाते मन्दर का पेरादाराँ का मुक्यो आपणाँ सपायाँ की लारे वटे ग्यो अन थरप्या तका ने बना लड़ई-जगड़ा किदाई लेन आयो, काँके वाँने दरपणी ही के कटई लोग-बाग भाटा ने फेकबा लाग जा।