30 पण वो डूँज ने देकन दरपग्यो, अन जद्याँ डुबवा लागो तो हाका-भार मेलन क्यो, “हो परबू, मने बचा!”
ईसू क्यो, “आव!” तद्याँ पतरस नाव पूँ उतरन ईसू का नके जाबा ने पाणी पे चाळबा लागो।
ईसू तरत हात लाम्बो करन वींने पकड़ लिदो अन वींकाऊँ क्यो, “ये कम विस्वास करबावाळा, थाँ काँ भेंम किदो?”
जागता रेवो अन परातना करो, जींऊँ थाँ कस्यी भी जाँच-परक में ने पड़ो। आत्मा तो त्यार हे, पण सरीर घणो दुबळो हे।”