26 चेला वाँने पाणी पे चालता तको देकन दरपग्या अन केबा लागा, “ओ भूत हे!” अन दरपऊँ हाका-भार मेलबा लागा।
पण जद्याँ वाँने वींकी लास वटे ने मली, तो वीं ओ केती तकी अई के, माँ हरग-दुत का दरसण किदा अन वणा दुताँ माँने क्यो के, ‘ईसू पाछो जीवतो वेग्यो हे।’
पण, वीं घबराग्या अन दरपग्या के, “आपाँ तो कस्याई भूत ने देकरिया हा।”
तद्याँ वणी वाँने सास्तर ने हमजबा के वाते वाँने अकल दिदी।
जद्याँ वीं दरपगी अन रेटे मुण्डो करन ऊबी वेगी, तो वणा मनकाँ लुगायाऊँ क्यो, “थाँ जीवता ने मरिया तका में काँ होदो हो?
वाँकाणी वींने क्यो, “थूँ वेडी वेगी हे!” पण, वा जोरावरीऊँ केरी ही के, या बात हाँची हे। तो वाँकाणी क्यो, “वो वींको दूत वेई।”
जद्याँ में वींने देक्यो, तो वाँका पगा में मरिया तका मनक का जस्यान पड़ग्यो। पछे वणा आपणाँ जीमणो हात मारा पे राकन माराऊँ क्यो, “दरपे मती मूँ पेलो अन आकरी हूँ।