25 ईसू रात के चोती पोर में लगे-भगे भाग फाट्या समन्द पे चालतो तको वाँका नके आयो।
पण ओ जाण लो के, यद्याँ घर का मालिक ने आ खबर वेती के, चोर कणी टेम आई तो जागतो रेतो अन घर में चोरी ने वेबा देतो।
ईं वाते थें भी जागता रो, काँके थाँ ने जाणो हो के मालिक कदी आ जावे। हाँज पड़्या आई कन आदी रात को। कूकड़ो बोलबा की टेम कन दन उगाँ।
वे देक्यो के, चेलाऊँ नाव ने आगे डगाणो घणो भारी पड़रियो हे, काँके वइरो वाँके हामे चालरियो हो। तो भाग-फाट्याँ के लगे-भगे वो समन्द पे चालतो तको वाँका नके आयो अन वाँकाऊँ आगे निकलणो छातो हो,
यद्याँ वी रात में दूजाँ पेर कन तीजा पेर में आन वाँने जागता देके, तो वी दास धन्न हे।
जद्याँ वीं नावऊँ दो-तीन कोस का लगे-भगे जातारिया, तो वणा ईसू ने समन्द का पाणी पे चालता तका आपणी आड़ी आता देक्या तो, वीं ओरू भी घणा दरपग्या।
वणी हात में एक खली तकी फोरीक किताब ले राकी ही। वणी आपणाँ जीमणा पगने समन्द पे अन डावा पगने धरती पे राक मेल्यो हो।
पछे जीं हरग-दुत ने में समन्द अन धरती पे ऊबो तको देक्यो हो, वणी आपणाँ जीमणा हात ने हरग आड़ी लाम्बो किदो।
ज्या अवाज में हूणी ही, वाँ मने पाच्छी हुणई दिदी, “जा अन जो हरग-दुत समन्द अन धरती पे ऊबो हे, वींके हात मेंऊँ वाँ खली तकी किताब लिले।”