24 वी दाण नाव समन्द का वच्छा-वच्छ लेराऊँ हिळोळा लेरी ही, काँके हवा हामेंऊँ चालरी ही।
अन देको, अणाचेत की समन्द में एक अस्यी डूँज चाली के, नाव में पाणी भरबा लागो, पण ईसू तो हूरिया हा।
वे देक्यो के, चेलाऊँ नाव ने आगे डगाणो घणो भारी पड़रियो हे, काँके वइरो वाँके हामे चालरियो हो। तो भाग-फाट्याँ के लगे-भगे वो समन्द पे चालतो तको वाँका नके आयो अन वाँकाऊँ आगे निकलणो छातो हो,
अन डूँज के मस समन्द को पाणी ज्योर-ज्योरऊँ हिळोळा मारबा लागो।
बरनबास एक हव मनक हो, जो पुवितर आत्मा अन विस्वासऊँ भरयो तको हो। अस्यान परबू की लारे ओर नरई लोग-बाग भेळा वेग्या।
वटूँऊँ जाँज के हामे वइरो वेबाऊँ माँ साइपरस की आड़ में वेन चाल्या।