50 अन पापी मनकाँ ने वादी का कूण्ड़ा में नाक देई, जटे हाका-भार अन रोवणो वेई।”
अन वाँने वादी का कूण्ड़ा में नाकी, जटे रोणो अन दाँत पीसणो वेई।
ईसू आपणाँ चेलाऊँ क्यो, “कई थाँ ईं हारी बाताँ हमज्या?” वणा क्यो, “हाँ।”
पण जणी परजा ने परमेसर हरग को राज देबावाळा हा, वींने अंदारा में नाक दिदी जाई जटे वीं मनक हाका-भार मेलता तका रोता रेई।”