ज्यो कुई मनक का पूत का विरोद में कई भलो-बुरो बात केई, वींको ओ गुनो परमेसर माप कर सके हे, पण ज्यो कुई पुवितर आत्मा का विरोद में कई केई, वाँको यो गुना ने तो ईं जुग में अन नेई आबावाळा जुग में माप किदो जाई।
ज्यो बीज झाड़क्याँ में वाया ग्या, वीं वणा मनकाँ का जस्यान हे, ज्यो परमेसर का बचन ने हुणे हे, पण ईं दनियाँ की चन्ता अन धन-माया को लोब-लाळच वाँने परमेसर को बचन भुलई दे के, परमेसर वाँकाऊँ कई छावे हे अन वो फळ ने लावे।
जद्याँ ईसू जेतुन का मंगरा पे बेट्या तका हा, तो चेला अकेला वाँका नके आन क्यो, “माने बता के, ईं बाताँ कदी वेई? थाँके आबा को अन जग का अन्त को कई हेन्याण वेई?”
यद्याँ अस्यान वेतो तो दनियाँ का रचनाऊँ लेन वींने आकोदाण दुक जेलणो पड़तो, पण अबे जुग का अन्त में वो एकीस दाण परगट व्यो हे, ताँके आपणाँ बलीदानऊँ पाप ने छेटी कर दे।