36 तद्याँ ईसू भीड़ ने छोड़न घरे पराग्या अन वाँका चेला वाँका नके आन क्यो, “चारा की केणी को अरत माँने हमजा।”
वणीस दन ईसू आपणाँ चेला की लारे समन्द का कनारे जान बेटग्यो अन उपदेस देबा लागग्यो।
वणी क्यो, “थाँने हरग का राज का भेद की हमज दिदी हे पण अणा लोगाँ ने ने दिदी हे।
“अबे थाँ बीज बोवावाळा की केणी को अरत हुणो।
जद्याँ लोग-बाग हूँ रिया हा तो वाँको दसमण आन गव का बचमें चारा का बीज छाँटन परोग्यो।
तद्याँ वाँकाणी आपणाँ चेला ने नाव पे चड़ाया ताँके वीं वाँकाऊँ पेल्याँ पेली परा जावे, जतरे मूँ लोगाँ ने हिक देन अऊँ।
तद्याँ वो लोगाँ की टोळी ने हिक देन नाव में चड़ग्या अन मगदन देस की हीमा में आयो।
जद्याँ वो घर में पूग्यो, तो वीं आन्दा वाँका नके आया अन ईसू वाँकाऊँ क्यो, “कई थाँने विस्वास हे के, मूँ यो कर सकूँ हूँ?” वाँकाणी क्यो, “हाँ, मालिक।”
बनाई केणी काम में लिदा तका वीं वाँने कई भी ने हुणाता हा, पण जद्याँ हाराई चेला का लारे वीं एकला वेता, तद्याँ हारी बाताँ को मतलब वाँने हमजाता हा।
पछे, जट ईसू आपणाँ चेला ने नाव पे चड़ाया, ताँके जतरे ईसू वीं भीड़ ने विदा करे, वतरे वीं वाऊँ पेल्याँ पेला पाल्ड़े बेतसेदा परा जावे।
पछे जद्याँ भीड़ ने छोड़न वो घर मयने ग्यो, तो वींका चेला वींने ईं केणी का बारा में पूँछ्यो।
वटे लगे-भगे च्यार हजार मनक वेई। पछे ईसू वाँने हिक दिदी।