ईं वाते वणी मुनीम ने बलान क्यो, ‘या कई बात वेरी हे थाँरा बारा में? ज्या मूँ थाँरा बारा में हुणरियो हूँ। आपणाँ मुनीमपणा को मने हिस्याब दे। काँके आगेऊँ थूँ मुनीम को काम ने कर सके हे।’
पण अबराम वणीऊँ क्यो, “हे बेटा, याद कर के, थें आपणाँ आकाई जीवन में हारी हव चिजाँ को भोग कर नाक्यो हे अन अणीस तरिया लाजर खराब चिजाँ को किदो। पण, अबे यो अटे सान्ती पारियो हे अन थूँ दुक में पड़न तड़परियो हे।
ज्यो कुई माराऊँ अन मारी बाताँऊँ लाजा मरी तो जद्याँ मूँ, मनक को पूत आपणी अन बापू परमेसर की अन पुवितर हरग-दुताँ की मेमा में पाछो आऊँ तो मूँ भी वाँकाऊँ मुण्डो फेर लेऊँ।
ईं वाते होस में आ अन ओ होच के, थूँ कटेऊँ पड़्यो, थूँ आपणो मन बदल अन पेल्याँ का जस्यान काम कर अन जद्याँ थूँ अस्यान ने करी, तो मूँ थाँरा नके आन थाँरा दिवा ने वींकी जगाँऊँ छेटी कर देऊँ।