4 वो अन वींका हण्डाळ्याँ परमेसर का मन्दर में ग्या अन चड़ाई तकी रोट्याँ खादी, ज्याँने याजक ने छोड़न कुई दूजाँ ने खाता हा?
ईसू वाँकाऊँ क्यो, “कई थें ओ ने भण्यो के, जद्याँ दाऊद अन वाँका हण्डाळी ने भूक लागी तो वणा कई किदो?
कई थें नेमा में ने भण्यो के, आराम का दन याजकईस मन्दर में काम करन आराम का दन का नेम ने तोड़े हे? पण वाँने कुई भी कई ने केवे हे।
जद्याँ अबियातार मोटो याजक हो, तद्याँ वो परमेसर का मन्दर में ग्यो अन परमेसर के चड़ई तकी रोट्याँ खादी अन वींकी लारे का मनकाँ ने भी दिदी, ज्यो खाणो रिति-रिवाजऊँ मोटा याजक ने छोड़न दूजाँ ने खा सकता हा।”
वो कई लेबा परमेसर का मन्दर में ग्यो, अन चड़ई तकी रोट्याँ लेन खादी अन आपणाँ हण्डाळ्याँ ने भी दिदी, जणा ने खाणी, याजक ने छोड़न दूजाँ के खाणी हव ने हे।”
एक तम्बू बणायो ग्यो हो, जिंका पेला कमरा में दिवो मेलबा को आळ्यो, टेबल अन भेंट की रोट्याँ ही, वा पुवितर जगाँ केवाती ही।