37 काँके थाँ थाँकी किदी तकी बाताँ के मस दोसी अन बना दोस का ठेराया जावो।”
“मूँ थाँकाऊँ कूँ हूँ के, जीं जीं फोगट की बाताँ मनक केवे हे, न्याव का दन वीं हाराई बाताँ को वाँने हस्याब देणो पड़ी।
ईंपे कुई सास्तरी अन फरीसी ईसुऊँ क्यो, “हो गरू, माँ थाँका हाताँ को कई परच्यो देकणा छावाँ हा।”