गेला का कनारे पड़्या तका बीज वणा मनकाँ का जस्या हे जीं ओ तो हुणे हे के, परमेसर कस्यान लोगाँ का मन पे राज करे हे पण वीं वींने हमजे कोयने। अन पछे सेतान आवे अन ज्यो बाताँ वणा हूणी ही वणा हारी बाताँ ने भुलई देवे हे।
ईं दनियाँ को सेनापती ज्यो सेतान हे, वो वणा मनकाँ की अकल ने बन्द कर मेली हे जीं विस्वास ने करे हे। जणीऊँ वीं परमेसर का रूप में मसी ने अन वाँकी मेमावान उजिता का हव हमच्यार ने ने देक सके।
वींके केड़े पाँचवे हरग-दुत आपणो प्यालो वीं डरावणा जनावर की गादी पे उँन्धई दिदो, जणीऊँ वींका राज-दरबार में अदंकार वेग्यो। घणा दुक की वजेऊँ वटा का मनक आपणी जीब के बटका भर लिदा।