41 ज्यो भी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा ने परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा मानन मानी, वो भविसवक्ता का जस्यान फळ पाई। अन ज्यो धरमी मनक ने धरमी मानी, वो धरमी का जस्यान फळ पाई।
पण जद्याँ भी थूँ परातना करे आपणाँ ओवरा में जा अन कमाड़ बन्द करन आपणाँ बापू परमेसरऊँ ज्यो छाने में हे परातना कर अन थाँको बाप छाने में देके हे, वो थाँने वींको फळ देई।
काँके परमेसर अन्यायी ने हे, के थाँका काम अन वीं परेम ने भुल जावे, ज्यो थाँ वींका नाम का वाते बतायो हे के, थाँ पुवितर लोगाँ की सेवा-चाकरी किदी अन कररिया हो।