जट दूजी दाण कूकड़ो बोल्यो अन पतरस ने वीं टेम पे ईसू का सबद आद आग्या, ज्यो वाँकाणी क्या हा, “कूकड़ा के दो दाण बोलबाऊँ पेल्याँ थूँ मने तीन दाण ओळकबाऊँ नट जाई।” तो पतरस मन में ओ होचन कल्ड़ो-कल्ड़ो रोबा लागो।
जद्याँ कुई मारा अन मारी हिकऊँ, कुकरमी अन पापी जमानाऊँ हरमाई तो मूँ ज्यो मनक को पूत(ईसू) हूँ, जद्याँ पुवितर हरग-दुताँ की लारे परमेसर की मेमा में आऊँ, तो वींका वाते हरमाऊँ।”
ज्यो कुई माराऊँ अन मारी बाताँऊँ लाजा मरी तो जद्याँ मूँ, मनक को पूत आपणी अन बापू परमेसर की अन पुवितर हरग-दुताँ की मेमा में पाछो आऊँ तो मूँ भी वाँकाऊँ मुण्डो फेर लेऊँ।
जस्यान वीं टेम में वणा लोगाँ में परमेसर का आड़ीऊँ जूटा बोलबावाळा हा, वस्यानीस थाँका मयने भी परमेसर की आड़ीऊँ जूटा बोलबावाळा वेई, वीं छानेऊँ नास करबावाळा कामाँ ने करी अन वीं वणी मालिक को मान ने करी, जणी वाँने आजाद किदा हा, अस्यान करन वीं खुद को फटाकऊँ नास कर देई।