पण आपणाँ में जड़ ने पकड़बा का मस वीं थोड़ाक दनईस रेवे हे, अन जद्याँ परमेसर पे विस्वास करबा की वजेऊँ मनक वाँकाऊँ हव वेवार ने राके अन हतावे तो वीं विस्वास करणो छोड़ देवे हे।
ईं वाते ज्यो बचन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा का मुण्डाऊँ क्यो ग्यो हे, वो पूरो वे के, “मूँ केणी में वणा बाताँ का भेद ने केऊँ, जीं दनियाँ की रचना की टेमऊँ छाने हे।”
पसे ईसू वाँकाऊँ क्यो, “ईं मारी वीं बाताँ हे, जद्याँ मूँ थाँके हाते रेते तके थाँकाऊँ क्यो हो। जतरी बाताँ मूसा के नेमा में अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा अन भजनाँ की किताब में मारा बारा में लिकी तकी हे, वीं हारी पुरी वेणीईस हे।”
जद्याँ मूँ वाँका लारे हो, तो में थाँका नाम की तागतऊँ ज्यो थाँ मने दिदो हे, वाँकी रुकाळी किदी। में वाँने हमाळ राक्या अन बेस वीं मनक छोड़न ज्यो नास का आड़ी लेजाबावाळा गेले चाल पड़्यो, ओर किंकोई नास ने व्यो, ईं वाते के पवितर सास्तर में ज्यो बतायो ग्यो वो पूरो वेवे।
काँके परमेसर जटा तईं आपणी बात ने पुरी करबा का वाते वाँके मन में अस्यान करी अन वाँने एक मन वेन अस्यान करबा का वाते उकसाई, जणीऊँ वीं आपणी तागत अन आपणो अदिकार वीं डरावणा जनावर ने दी दे।