61 एक दूजे ओरी क्यो, “ओ परबू, मूँ थाँका पाच्छे चालूँ। पण, पेल्या मने जाबा दो के, मूँ आपणाँ घर का लोग-बागाऊँ हिक ल्यऊँ।”
“यद्याँ कुई मारा पाच्छे आवे अन आपणाँ बई-बापू, लुगई अन छोरा-छोरी अन भई-बेन अन अटा तईं आपणाँ जीव ने भी माराऊँ प्यारो माने, तो वो मारो चेलो ने बण सके हे।
पण मारा विस्वासी भई तीतूस ने वटे ने देकन मारो मन घणो दकी व्यो, तो मूँ वटेऊँ हिक लेन मकिदुनिया आड़ी चाल पड़्यो।