58 ईसू वणीऊँ क्यो, “हिवाळ्या का नके तो खोकल वेवे हे अन आकास का जीव-जनावराँ का वाते तो गवाळा वेवे हे। पण, मूँ मनक का पूत का नके मातो ढाकबा जतरीक भी जगाँ ने हे।”
वो हाराई बीजाऊँ फोरो तो वेवे हे पण जद्याँ यो ऊँगे हे तो खेत की हाराई साग-सबजीऊँ मोटो वे जावे हे। अन उड़बावाळा जनावर आन वींकी डाळ्याँ पे गवाळा बणावे हे।”
ईसू वींकी बात हुणन क्यो, “हिवाळ्या के, तो खोकल वेवे हे अन आकास का जनावराँ का वाते गवाळा वेवे हे पण मनक का पूत का वाते मातो ढाँकबा का वाते भी जगाँ ने हे।”
काँके थाँ आपणाँ परबू ईसू मसी की दया ने तो जाणोइस हो अन थाँ ओ भी जाणो हो के, वीं अमीर वेता तका भी थाँका वाते गरीब बणग्या। जणीऊँ वाँकी गरीबीऊँ थाँ अमीर वे जावो।
हो लाड़ला भायाँ, ध्यानऊँ हुणो। कई परमेसर वाँने ने चुण्या ज्यो ईं दनियाँ की देकणी में गरीब हे, जणीऊँ वीं विस्वास का धनी वेजावे अन वीं वणी राज का हकदार बणे, जिंने परमेसर आपणाँऊँ परेम करबावाळा ने देबा को वादो किदो हे।