वाँका चेला ने वीं टेम ईं बाताँ नंगे ने पड़ी ही, पण जद्याँ ईसू मेमा परगट वीं, तद्याँ वाँने हमज में आयो के, ईं बाताँ वींके बारा मेंईस सास्तर में लिकी गी ही के, मनक वाँकाऊँ ईं तरियाँ को वेवार किदो हो।
ईंपे लोग-बाग क्यो, “माँ सास्तर की या बात हूणी हे के, मसी हमेस्या का वाते जीवतो रेई, पछे थूँ का केवे हे के, मनक का पूत ने ऊसो उटायो जाणो जरूरी हे? यो मनक को पूत कूण हे?”