पण ईसू वाँने क्यो, “ईं दनियाँ का हूँगला अन कुकरमी लोग हरग को हेन्याण मागे हे, पण परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा योना का हेन्याण ने छोड़न कुई दूज्यो हेन्याण वाँने ने दिदो जई।
तद्याँ वाँ जान आपणाँऊँ ओरी हुगली हात आत्माने आपणाँ हाते ले आवे हे, अन वीं वींमें धसने वटे वास करे हे, अन वीं मनक की पाछली दसा पेल्याऊँ भी हुगली वे जावे हे। ईं जुग का हूँगला मनकाँ की दसा भी अस्यानीस वेई।”
जद्याँ यहुन्ने यो देक्यो के, नरई फरीसी अन सदुकी वाँका नके बतिस्मो लेबा ने आरिया हे तो वणी वाँकाऊँ क्यो, “ओ, हाँप का बच्या। थाँने कणी हेंचेत कर दिदा हे के, थाँ परमेसर की आबावाळी रीसऊँ बंच निकळो?
अन वणा वाँकाऊँ क्यो, “थाँको विस्वास कटे हो?” पण वीं दरपग्या अन अचम्बा में आग्या अन एक-दूजाऊँ केबा लागा, “ईं कूण हे? ज्यो डूँज अन पाणी ने भी आग्या देवे हे, अन वी अणाको केणो माने हे।”
ईसू वींने क्यो, “हे फिलिपुस, मूँ अतरा दनाऊँ थाँरा हाते हूँ, अन कई थूँ मने ने ओळके हे? जणी मने देक्यो हे वणी बापू ने देक्या हे। तो थूँ काँ केवे हे के, ‘माने बापू का दरसण करई दे’?
काँके आपाँने वाँके जस्यानीस हव हमच्यार हुणायो ग्यो हे, पण हुण्या तका बचनऊँ वाँने कई नफो ने व्यो, काँके वीं हूणबावाळा वींने विस्वास के हाते ने हुण्यो हो।